कर्तव्य पालन कर जीवन के पथ पर मैं बढ़ रहा हूँ I कर्तव्य पालन कर जीवन के पथ पर मैं बढ़ रहा हूँ I
नासमझ झूठ परोस अलगाव लाते हैं और समझदार, झूठ बोल, खुशियाँ बाँटते हैं। नासमझ झूठ परोस अलगाव लाते हैं और समझदार, झूठ बोल, खुशियाँ बाँटते हैं।
फर्क इस बात से नहीं पड़ता इतना कि कोई सो रहा है, कोई जाग रहा है, पर इस बात से पड़ता है कि, जब सो... फर्क इस बात से नहीं पड़ता इतना कि कोई सो रहा है, कोई जाग रहा है, पर इस बात से...
मैं भी कितनी पागल हूँ डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से। मैं भी कितनी पागल हूँ डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से।
दो कदम आगे चलता झूठ के साम्राज्य के केंद्र की ओर। दो कदम आगे चलता झूठ के साम्राज्य के केंद्र की ओर।
मैं आँखे मिलाने में तो ज़माने का लिहाज़ रखता हूँ, मैं आँखे मिलाने में तो ज़माने का लिहाज़ रखता हूँ,